गायब दस्तावेज की जांच क्राइम ब्रांच को
मुम्बई। आदर्श सोसाइटी घोटाले की फाइलों में से कई अहम दस्तावेज चोरी होने के मामले की जांच मुम्बई पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक क्राइम ब्रांच की स्पेशल विंग इस मामले की जांच करेगी। उधर, इन कागजातों के गायब होने के बाद खलबली मच गई है। आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले से सम्बंधित दो फाइल नोटिंग महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग से गायब हो गए थे। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इन कागजों में राज्य सरकार के अघिकारी- मंत्रियों की टिप्पणियां अंकित हैं। विभाग के सचिव गुरूदास बाज्पे की शिकायत पर इस बारे में मुम्बई के मैरीन ड्राइव पुलिस थाने में चोरी और दस्तावेज नष्ट करने के प्रयास का मामला दर्ज
मुम्बई में अमीर लोगों के दस्तावेज गायब हुए तो क्राइम ब्रांच की स्पेशल विंग इस मामले की जांच करेगी। गरीबों की फाइल गायब होती तो कोई नहीं सुनता है|
भीनमाल नगर पालिका से भी कई फाइलें गायब है जिसकी वजह से किसी का हक मारा जा रहा है लेकिन कोई सुनने वाला नही है| एक ही प्लोट से सम्बन्धित सन 1968, 1974, 1992, कई पत्रावलियों तो उपलब्ध है लेकिन उनमें से दस्तावेज गायब है|
http://humsubchorhain.blogspot.com/2010/10/blog-post_27.html
Sunday, November 28, 2010
Monday, November 22, 2010
भ्रष्टाचार में भारत 87वे स्थान पर
ये खबर IBN 7 में देखी, यकीन मानिये सारी रात नींद नहींआइ, अरे कहाँ तो हम गोल्ड मेडल की बात करते है,क्रिकेट हो या कुश्ती, bedminton हो या टेबल टेनिस,हमेशा अवल आने की कोशिश करते है, परन्तु भ्रष्टाचारजो की हमारे खून में इतना ज्यादा मिल चुका है,उसमे हम 87 वे स्थान पर केसे हो सकते है ? आप किसीभी दफ्तर में चले जाइये, संत्री से मंत्री तक चपरासी सेअफसर तक सब के सब भ्रष्टाचार रुपी टोनिक से केसे फल फूलरहे है, हर आदमी अपनी हेसियत के हिसाब से इस भ्रष्टाचाररुपी समुन्दर में गोते लगा रहा है आर जीवन का भरपूर आनंदउठा रहा है, "उसकी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद केसे" या"उसकी गाडी मेरी गाडी से बड़ी केसे" और या "उसके बच्चेकॉन्वेंट में पड़ते है तो मेरे क्यूँ नहीं" इस विचारधारा कोअपनाते हुए, भ्रष्टाचार रुपी समुन्दर में और भी गहराईमें गोते लगा कर एक दुसरे को पछाड़ने की कोशिश मेंलगे रहते है, अब जब भ्रष्टाचार का इस कदर बोल बाला हो,लोग इस कदर इसमें रच बस गए हो तो हम 87वे नंबर परकेसे हो सकते है, ये तो हो ही नहीं सकता,ज़रूर सर्वे करने वालो से कहीं गलती हुई है,इसका सर्वे दोबारा होना चाहिए, और यक़ीनन जब सहीनतीजा आयेगा तो हर भारतीय का सीना गर्व से चोडा हो जायेगा, और उसके मुह से निकलेगा......"100 में से 99 बईमान, फिर भी मेरा भारत महान"
भारत की जनता गरीब व अशिक्षित होने के भी कई लाभ हमें मिलते है| यह की जनता गरीब व अशिक्षि होने के कारण अपने हक के लिए भी नहीं जा सकते न्यायालय तक| जिस दिन भारत से गरीबी और अशिक्षा मिट गई उस दिन हमारे देश की की अदालतों में 400 लाख करोड केस विचाराधिन होगें अब तो सिर्फ 400 करोड केस ही हमारे देश की अदालतो में विचाराधिन है|
सूचना का अधिकार
मैंने लोक सूचना अधिकारी, सहायक अभियन्ता, जोधपुर डिस्कोम, भीनमाल को एक अर्न्तदेशी
पत़्र स्पीड पोड से भेज कर प्रथम अपील अधिकारी का नाम जानना चाह था| लेकिन लोक सूचना
अधिकारी ने पत्र लेने से इन्कार कर दिया| मुझे प्रथम अपील अधिकारी का पता मालुम नहीं
होने के कारण मैं इस लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध प्रथम अपील पेश नहीं कर पा रहा हू
और 30 दिवस की अवधि पूर्ण होने को आई है|
http://www.jantakiawaz.com/RTI2005.pdf
पत़्र स्पीड पोड से भेज कर प्रथम अपील अधिकारी का नाम जानना चाह था| लेकिन लोक सूचना
अधिकारी ने पत्र लेने से इन्कार कर दिया| मुझे प्रथम अपील अधिकारी का पता मालुम नहीं
होने के कारण मैं इस लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध प्रथम अपील पेश नहीं कर पा रहा हू
और 30 दिवस की अवधि पूर्ण होने को आई है|
http://www.jantakiawaz.com/RTI2005.pdf
Monday, November 1, 2010
15 साल से खुद बीमार है अरहरा का स्वास्थ्
अरहरा गांव का पीएचसी अर्थात प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है जिस पर गांव के मरीजों का इलाज करने की जिम्मेदारी है, लेकिन यह खुद पिछले 15 साल से बीमार पड़ा है जिसकी सुध-बुध लेने वाला कोई नहीं है।
झारखंड में गुमला जिला के अंतर्गत कमडरा ब्लॉक में पड़ने वाले अरहरा गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गत 15 साल से अधुरा बना पड़ा है। झारखण्ड 10 साल से बिहार से अलग हो कर अपना रांज चला रहे है। यहां बार सरकारें गिरी और बनी तथा दो बार राष्ट्रपति शासन लगा, लेकिन इसके बावजूद इस अभागे गांव का भाग्य नहीं बदला और आज तक इस गांव में स्वास्थ्य केन्द्र नहीं बन पा रहा है।
read full article on www.firstnewslive.com
झारखंड में गुमला जिला के अंतर्गत कमडरा ब्लॉक में पड़ने वाले अरहरा गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गत 15 साल से अधुरा बना पड़ा है। झारखण्ड 10 साल से बिहार से अलग हो कर अपना रांज चला रहे है। यहां बार सरकारें गिरी और बनी तथा दो बार राष्ट्रपति शासन लगा, लेकिन इसके बावजूद इस अभागे गांव का भाग्य नहीं बदला और आज तक इस गांव में स्वास्थ्य केन्द्र नहीं बन पा रहा है।
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