Saturday, December 11, 2010

पुलिस की छवि सुधारें-एसपी

जालोर। हाल ही में तबादला होकर आए पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा ने गुरूवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जिले के वृत्ताघिकारियों व थानाप्रभारियों की अपनी पहली क्राइम बैठक ली। एसपी मीणा ने पैंडिंग मामलों का शीघ्र निस्तारण,

एफआईआर दर्ज करवाने में आ गया पसीना

फर्जी हस्‍ताक्षर से भुगतान उठाने का मामला, चार महीने तक टरकाई रिपोर्ट आम आदमी की तो बात छोडिए, जिला परिषद् के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी व रानीवाडा के विकास अधिकारी को फर्जीवाडे की एक एफआईआर दर्ज करवाने में पसीने आ गए| आखिरकार, जिला कलेक्‍टर के हस्‍तक्षेप पर चार महीने बाद रानीवाडा पुलिस थाने में फर्जीवाडे का मामला दर्ज हो पाया|
दर असल, रानीवाडा पंचायत समिति की रोपसी ग्राम पंचायत के सरपंच कालूराम मेघवाल ने 15 जुलाई 2010 को शिकायत दर्ज कराई कि उसके फर्जी हस्‍ताक्षरों से ग्राम सेवक उदयवीरसिंह ने करीब साढे आठ लाख रुपये का भुगतान उठा लिया| सरपंच की शिकायत पर महात्‍मा गांधी नरेगा में कार्यरत अधिकारियों ने बैंक से हस्‍ताक्षरों का सत्‍यापन करवाया, जिसमें सरपंच के हस्‍ताक्षर जाली निकले| इस पर रानीवाडा विकास अधिकारी एवं कार्यक्रम अधिकारी, ईजीएस, ओमप्रकाश शर्मा ने 19 जुलाई को रानीवाडा पुलिस थाने में ग्रामसेवक के विरुद्ध रिपोर्ट प्रस्‍तुत की, लेकिन थानाप्रभारी ने दर्ज करने से इनकार कर दिया|
तत्‍पश्‍चात जिला परिषद के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी ने भी पुलिस अधिकारियों को एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा, लेकिन पुलिस का रवैया पहले जैसा ही रहा| आखिरकार जिला कलेक्‍टर केवलकुमार गुप्‍ता को ग्रामसेवक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखना पडा| तब जाकर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है| इस संबंध में थानाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्‍होंने अपना मोबाइल स्‍वीच ऑफ कर दिया|
भटकना पडा रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए काफी भटकना पडा रानीवाडा थाना पुलिस ने यह कहते हुए एफआईआर दर्ज नहीं की कि यह मामला उनके क्षेत्र का नहीं है| उच्‍चाधिकारियों के हस्‍तक्षेप के बाद मामला दर्ज हो पाया|
आमप्रकाश शर्मा, विकास अधिकारी, रानीवाडा

Friday, December 10, 2010

Central Vigilance Commissioner

On the International Anti-Corruption Day, the Central Vigilance Commission (CVC) launched a new portal VIGEYE where citizens can upload videos

or audios on any act of corruption directly from their mobile phones Thursday.
The new citizen-centric initiative of the CVC will enable even common man to carry out a sting operation. The complainant just needs to download

a mobile application software from the CVC website, www.cvc.nic.in, and can then start uploading audios or videos. It will be taken up by the commission for further enquiries.
Alternatively, one can register on the CVC website or SMS on 9223174440.
"The CVCs new portal is user-friendly and is an effective method for the citizens to report corruption," Central Vigilance Commissioner P.J. Thomas said.
However, former chief vigilance commissioner N. Vittal said: "The new portal can just act as a mere post office where the citizens can give in their complaints."
He also said that CVC should not just be a complaint collector but it should get powers to sanction prosecution against corrupt public servants.

दुनिया के भ्रष्ट देशों में भारत

" id="hiddentitle" > Friday, 10 Dec 2010 12:23:11 hrs IST

jaipur

नई दिल्ली । देश में एक के बाद एक बड़े घोटालों ने देश का सर शर्म से झुका दिया है। चपरासी से लेकर देश के पैसे के खर्च पर निगरानी करने वाले सतर्कता आयुक्त तक सब भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हैं। कोई कम तो कोई ज्यादा, पर भ्रष्टाचार के कीचड़ के छींटों से कोई भी बचा हुआ नजर नहीं आता। 2 जी स्पेक्ट्रम, आदर्श, तो कुछ ताजा नाम है ये सूची बहुत लम्बी है।




घूसखोरी आम बात


भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने वाली बर्लिन की गैर सरकारी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 86 देशों में 90 हजार लोगों के सर्वेक्षण में पाया कि 60 प्रतिशत लोग मानते हैं कि रिश्वतखोरी अब आम होती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस पर जारी रिपोर्ट में अफगानिस्तान, नाइजीरिया, इराक और भारत को सबसे ज्यादा भ्रष्ट देशों की सूची में रखते हुए कहा गया है कि इन देशों के पचास फीसदी लोगों ने रिश्वत मांगे जाने की बात स्वीकार की है।



कानून से उम्मीद बाकी


भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए भारत में पांच साल पहले कानून लागू किया। तब उम्मीद की थी कि कानून लागू होने के बाद भ्रष्टाचार में कमी आएगी। 5 सालों में कानून की सफलता के आंकड़े सामने नहीं आए हैं। उम्मीद कर सकते हंै कि जनता को अपने हक के लिए जागरूक करने में यह कानून बड़ा हथियार साबित होगा।



पुलिस को एक और तमगा



रिपोर्ट में भारत की पुलिस सर्विस को सबसे भ्रष्ट सेवा का तमगा दिया गया है। 191 देशों की सूची में भ्रष्टाचार में भारत 178वीं पायदान पर है। भारत को दस में से 3.3 अंक मिले है। करेप्शन प्रेसेप्शन इंडेक्स में भारत का स्थान 87वां है।



सिर झुकाने वाले आंकड़े



75 प्रतिशत लोग भारत में किसी न किसी तरह भ्रष्टाचार का सामना करते हैं
178 वें पायदान पर है भारत 191 देशों की सूची में
20 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि वर्ष 1948 से 2008 तक बाहर भेजे
1/4 सांसदों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप
1/3 लोगों को पुलिसको रिश्वत देनी पड़ी दुनियाभर में।

सबको पता है कौन सा जज भ्रष्ट है - SC

SC
सबको पता है कौन सा जज भ्रष्ट है - SC
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज भ्रष्टाचार पर टिप्पणी के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट पर की गई टिप्पणी वापस लेने से इनकार करते हुए कहा कि सबको पता है कि हाई कोर्ट में कौन सा जज भ्रष्ट है और कौन नहीं। अदालत ने कहा कि यह समय प्रतिक्रिया व्यक्त करने का नहीं बल्कि आत्मविश्लेषण करने का है। जस्टिस मार्कडेय काट्जू ने कहा कि उनके परिवार का पिछले सौ सालों से हाई कोर्ट से नाता रहा है और वह क्यों हाई कोर्ट की बदनामी चाहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सभी जज भ्रष्ट नहीं होते। कोर्ट में अच्छे न्यायाधीश भी मौजूद हैं। गौरतलब है कि 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुछ न्यायाधीशों की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि वहां कुछ गड़बड़ है।...

Saturday, December 4, 2010

भ्रष्टाचार मिटाने के लिए पहले देश को ही मिटाना होगा





एक बार फ़िर सब कुछ लगभग ठीक ठाक सा चलता दिखने के बावजूद अचानक ही घोटालों , घपलों की फ़ेहरिस्त सी खुल रही है । अब तो लोगों को वर्षों पहले की नरसिम्हा सरकार की याद हो आई है ..जिस अकेली सरकार के लगभग सभी मंत्रियों ने अपने खाते में कम से कम एक बडा घोटाला तो डाला ही था । और अब इतने समय के बाद , एक बार फ़िर एक मनमोहिनी सरकार देश को घोटालों और घपलों के स्वर्ण युग में ले आई है । आम जनता प्रतिदिन बडी ही व्यग्रता से प्रतीक्षा करती है कि , देखा जाए कि आज कौन सा नया घोटाला आ रहा है पुराने घोटाले से थोडा सा ध्यान बंटाने के लिए । और भ्रष्टाचार का आलम देखिए कि देश के राजनीतिज्ञों , और प्रशासकों ,का भ्रष्टाचार तो अब ऐसी घटना है जिसका कोई संज्ञान ही नहीं लिया जाता , खुद सर्वोच्च न्यायालय ने अभी हाल ही में अपने अधीनस्थ मगर उच्च स्तर की अदालत के न्यायाधीशों के आचरण और भ्रष्टाचार लिप्तता का आरोपी होने जैसा कुछ कुछ ईशारा ही किया था कि , वहां कार्यरत एक वरिष्ठतम अधिवक्ता ने बाकायदा शपथपत्र देकर कहा कि जब उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार के छींटे खुद सर्वोच्च स्तर तक भी पहुंच चुकी है । अब बच ही क्या गया है , न्यायपालिका अनेकों बार भ्रष्टाचार के मुकदमों की सुनवाई करते समय ये कह चुकी है अब तो बस एक ही रास्ता बचा है कि भ्रष्टाचारियों को सरे आम फ़ांसी के फ़ंदे पर टांग देना चाहिए , मगर फ़िर भी इसके बावजूद भी आज तक किसी भी भ्रष्टाचारी को फ़ांसी पर चढाना तो दूर , उनका बाल भी बांका नहीं किया जा सका है । उलटे ही अगर वो राजनीतिज्ञ है तो उसका कद और भी बडा हो जाएगा और अगर प्रशासक है तो निकट भविष्य में राजनीतिज्ञ बन जाने की संभावना प्रबल हो जाती है ।


हाल ही के राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन करने मे हुए घोटाले से शुरू हुआ ये सिलसिला अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा है , आदर्श घोटाला हो या कि स्पेक्ट्रम घोटाला , सभी एक से बडे एक और निर्लज्जता और लालच की पराकाष्ठा को परिभाषित करते हुए । अब तो जैसे जनता ने भी इन पर प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया है अन्यथा देश को जाने कितने पीछे धकेल देते ये घपले और घोटालों के लिए जिम्मेदार इन तमाम भ्रष्टाचारियों को न सिर्फ़ देश समाज और कानून का गुनाहगार माना जाना चाहिए बल्कि इंसानियत के दुश्मन की तरह का व्यवहार इनसे किया जाना चाहिए । वैसे तो भ्रष्टाचार नाम की ये बीमारी कोई एक देश , एक प्रांत , एक द्वीप या एक क्षेत्र की समस्या नहीं है बल्कि अब तो ये बार बार प्रमाणित हो चुका है कि विश्व का कोई भी देश किसी न किसी स्तर और किसी न किसी हद तक भ्रष्टाचार का दंश झेल चुका है ।हालांकि इस विषय का अध्य्यन करने वाले भ्रष्टाचार कारण एवं उन्मूलन पर अपने निष्कर्षों में कहते हैं कि , बुनियादी फ़र्क सिर्फ़ ये होता है कि किस देश और समाज ने भ्रष्टाचार के डंक को किस रूप में झेला है और उस दिशा में क्या सोचा और किया है । जैसे कई देशों में भ्रष्टाचार का विरोध खुद आम जनता ने इतनी तीव्रता से किया है कि उसने न सिर्फ़ भ्रष्टाचार के आरोपी को जाना पडा बल्कि उससे जुडे लोगों और संस्थाओं तथा सरकार तक का बंटाधार होते देर नहीं लगी है । कुछ देश तो इससे भी आगे जाकर हत्थे चढे भ्रष्टाचारियों को आम जनता की जरूरतों का कातिल करार देकर अपने गवर्नरों तक को फ़ांसी पर टांग चुकी है । विशेषज्ञ कहते हैं कि सबसे कठिन स्थिति उन देशों की है जहां भ्रष्टाचार को आम आदमी द्वारा ग्राह्य मान लिया गया है जैसे कि भारत और उसके आस पास के अन्य देश ।

भ्रष्टाचार से लडने के लिए न तो कोई कानून न ही कोई सरकारी नीति कारगर साबित हो रही है । इसकी सबसे बडी वजह ये है कि आम लोगों ने इसे एक नियमित नियति के रूप में अपना लिया है । कुल मिलाकर ये मान लिया गया है कि भ्रष्टाचार एक जडहीन वृक्ष है , जिसकी शाखें , पत्ते , फ़ल और फ़ूल , जाने किन किन सूत्रों से खुद को सींच कर अपने आपको बढाने में लगी हुई हैं । आम आदमी को न तो उसका आदि दिख रहा है न अंत और अब तो उस भ्रष्टाचार से लडने का माद्दा भी चुकता सा दिख रहा है । हालांकि सूचना का अधिकार जैसे कानूनों ने कुछ हद तक भ्रष्टाचार को नग्न करने का कार्य तो अवश्य किया है किंतु इसके आगे की स्थिति फ़िर वही ढाक के तीन पात जैसी हो जाती है । आखिर सरकार कभी ये आंकडे क्यों नहीं दे पाई कि , अमुक भ्रष्टाचारी के पास से इतना धन जब्त किया गया और उस धन से फ़लाना ढिमकाना परियोजना का कार्य पूरा किया गया । या फ़िर ये कि , आज तक जिस भी स्तर पर किसी ने भी भ्रष्टाचार के विरूध बिगुल फ़ूंकने का काम किया है उन्हें सरकार समाज ने अपना आदर्श और अगुआ मान कर सर आंखों पर बिठा लिया हो या फ़िर कि उसकी और उससे संबंधित लोगों की सुरक्षा और संरक्षा की गारंटी ले ली हो । इसके उलट उस दिन से उसके जीवन की मुश्किलें बढ जाती हैं । भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अब नए सिरे से और हर स्तर से हर वो नियम हर उस नीति को बदलना होगा जो भ्रष्टाचार की गुंजाईश को पैदा करते हैं । ऐसा हो पाएगा ये अभी दूर की कौडी लगती है ॥

Thursday, December 2, 2010

अयोध्या से जुड़ी फाइलें गायब, अफसर मरा

  • श्रीपति त्रिवेदी
    डेटलाइन इंडिया
  • बाबरी मस्जिद का सच अब कभी सामने नहीं आएगा। इसकी 23 महत्वपूर्ण फाइलें गायब हो गई है। फाइलें गायब कैसे हुईं? राज्य के गृह विभाग में काम करने वाले एक छोटे अधिकारी को परम गोपनीय लॉकर में रखी हुई ये फाइलें घर ले जाने के लिए दी गई और रास्ते में इस अधिकारी की एक दुर्घटना में मौत हो गई। लाश तो मिल गई लेकिन फाइलें नहीं मिली। यह हादसा 6 जून 2009 का है और मृतक अधिकारी का नाम सुभाष भान साध है।
  • अब सवाल यह है कि मायावती का क्या स्वार्थ है कि वे इन दस्तावेजों को गायब करें। जवाब यह है कि लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट में इन दस्तावेजों का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि मामला मंदिर मस्जिद का कम और परस्पर विरोधी तथ्यों का ज्यादा है। मायावती को मुलायम सिंह को फंसाना है, उनके दोस्त कल्याण सिंह को फंसाना हैं, पूरी भारतीय जनता पार्टी को फंसाना हैं, बाबरी मस्जिद कांग्रेस सरकार के दौरान गिरी थी इसलिए कांग्रेस को फंसाना हैं इसलिए रास्ते में रूकावट बनने वाले दस्तावेज गायब करना ही आसान विकल्प था। मारे गए अधिकारी के परिवार वाले लगातार शिकायत कर रहे हैं कि ये दुर्घटना नहीं कत्ल हैं लेकिन माया मेम साहब की सरकार में सुनवाईयां नहीं होती।

एसएआर कोर्ट की कई महत्वपूर्ण फाइलें गायब

एसएआर कोर्ट (विशेष विनियमन पदाधिकारी का कार्यालय) की कई महत्वपूर्ण फाइलें कार्यालय से गायब हैं जिनकी तलाश जारी है। सूत्रों का कहना है कि फाइनल स्टेा की 30 से अधिक फाइलें गायब हैं। कर्मचारियों की मिलीभगत से बैक डेट से मुआवजा (कंपनसेशन) देने के बाद कुछ फाइलें कार्यालय में वापस लायी जा रही है। इतना ही नहीं रािस्टर में भी इन फाइलों का कोई जिक्र नहीं है। फाइलें कहां हैं, किस हालत में है किसी को पता नहीं। हालांकि इस संबंध में विनियमन पदाधिकारी ओनियस क्लेमेंट ओड़ेया का कहना है कि जसे-ौसे जरूरत पड़ रही है फाइलों की खोज की जा रही है। जो फाइल नहीं मिलेगी उसकी जानकारी डीसी के साथ-साथ सरकार को उपलब्ध करा दी जायेगी। पूर्व एसएआर पदाधिकारी देवनीष किड़ो द्वारा कंपनसेट दो मामलों को वर्तमान एसएआर पदाधिकारी ने रि-स्टोर कर दिया है। दोनों मामले अरगोड़ा क्षेत्र के हैं। इनमें एक हरिओम शर्मा (केस नंबर 28007-08) और दूसर विनोद कुमार ( केस नंबर 28207-08) हैं। दोनों ने राजू उरांव से क्रमश: आठ डिसमिल और छह डिसमिल जमीन खरीदी थी। किड़ो ने हरिओम शर्मा के केस को 30 अगस्त को और विनोद कुमार के केस को 30 मई को कंपनसेट कर दिया था। शर्मा के मामले को ओड़ेया ने 3 नवंबर को यह कहते हुए रि-स्टोर कर दिया कि आवेदक ने मजिस्ट्रेट को गुमराह कर कंपनशेसन करा लिया था।ड्ढr नाबालिग के साथ दुष्कर्मड्ढr रांची। डोरंडा थाना क्षेत्र के हाथीखाना इलाके में तीन युवकों ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता के अभिभावकों से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों मो हासिम, संतोष कुमार एवं सुनील को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल भेजे गये आरोपी इसी इलाके के मणिटोली पत्थर रोड के रहनेवाले हैं। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक हाथीखाना निवासी मो शकील हुसैन की बच्ची रशमा कुमारी (नाम बदला हुआ) को बहला- फुसलाकर एक स्थान पर ले गये। इसके बाद उसे तरह-तरह का झांसा देकर तीनों ने मुंह काला किया। कुकर्म करने के बाद तीनों ने पीड़िता को घटना की जानकारी किसी को देने पर जान से मार डालने की धमकी दी।

शास्त्रीनगर कॉलोनी की 101 प्रॉपर्टी की फाइलें गायब

22 Apr 2010, 0127 hrs IST,नवभारत टाइम्स
प्रमुख संवाददाता
गाजियाबाद।। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में शास्त्रीनगर कॉलोनी की 101 प्रॉपर्टी की फाइलें गायब हो ग

ई हैं। सूत्रों के अनुसार इन प्रापटीर्ज की कीमत कई सौ करोड़ रुपये है। गायब फाइलों में 72 भवनों की और 29 प्लॉटों की हैं।

जीडीए के वीसी एन.के.चौधरी ने बताया कि लापता प्रॉपटीर् का पता लगाने के लिए प्रत्येक कॉलोनी में प्रॉपर्टी का ऑडिट कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सारी प्रॉपर्टीज को ऑनलाइन करने की स्कीम है। यदि प्रॉपर्टी को ढूंढने में कामयाबी मिल गई तब जीडीए को करोड़ों रुपये की आमदनी होगी।

वीसी ने बताया कि 280.550 एकड़ भूमि में शास्त्रीनगर कॉलोनी को विकसित किया गया था। 13 ब्लॉकों में विकसित इस कॉलोनी में 1422 प्लॉट और 2746 मकान बनाए गए। इसके साथ ही 6 स्कूल, एक कम्यूनिटी सेंटर, एक पेट्रोल पम्प, 71 क्योस्क, एक गैस गोदाम, एक स्टेडियम, एक राजकीय पॉलीटेक्निक, एक विद्युत सब स्टेशन और 149 दुकानें बनीं। जीडीए के बनाए 9 मकान और 12 प्लॉटों पर विवाद है यानी 21 प्रॉपर्टीज पर मुकदमे चल रहे हैं।

फाइलें गायब

भास्कर न्यूज & बेमेतरा

थाने में शिकायत के बाद भी नगर पालिका को मुरम की फाइल का पता नहीं चल पाया है। इस बीच दो और फाइलें पिछले एक महीने से गायब होने की बात सामने आई है। इस परिप्रेक्ष्य में सीएमओ ने प्रभार में रहे उपयंत्री दिनेश सिंह को नोटिस जारी किया है।

जानकारी के मुताबिक इन फाइलों को भी गायब करने में ठेकेदारों की अहम भूमिका मानी जा रही है। गौरतलब है कि आईएसडीपी योजना के तहत दो करोड़ से भी अधिक राशि के आवास निर्माण कार्य एवं समग्र विकास योजना के तहत लाखों रुपए के निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। इसमें भी व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने के संकेत हैं। कार्यालयीन रिकार्ड तलाशने के बाद यह तथ्य सामने आया है। इस संबंध में सीएमओ हेमशंकर देशलहरा ने कहा है कि प्रभार में रहे उपयंत्री दिनेश सिंह को नोटिस जारी किया गया है, जिसे लगभग पंद्रह दिन हो रहे हैं। यदि इसी तरह हीला-हवाला किया जाता रहा तो इसकी भी शिकायत थाने में दर्ज कराई जाएगी। बहरहाल नगर पालिका से निरंतर फाइलों के गायब होने की निर्माण एवं विकास कार्यों में व्यापक पैमाने में अनियमितता बरतने के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है और इसमें संबंधित ठेकेदारों एवं उपयंत्री के सांठ-गांठ की आशंका व्यक्त की जा रही है।

दूसरी ओर सीएमओ हेमशंकर देशलहरा ने विधायक ताम्रध्वज साहू से भेंटकर पालिका में व्याप्त अनियमितताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। पश्चात सीएमओ ने बताया कि विधायक वस्तुस्थिति की गंभीरता से अवगत हुए और विकास एवं निर्माण कार्य को ईमानदारीपूर्वक गति देने समझाया। सीएमओ ने विधायक की बातों पर संतुष्टि भी जाहिर की है।

ज्ञात हो कि कुछ दिनों पूर्व विभागीय मंत्री राजेश मूणत सीएमओ को राजधानी तलब कर पालिका में व्याप्त गतिविधियों से अवगत हुए थे। पश्चात सीएमओ को वस्तुस्थिति से विधायक को अवगत कराने भी निर्देशित किया था। नगर पालिका में फर्जी बिल को लेकर उपजे सीएमओ एवं अध्यक्ष के बीच द्वंद के चलते नगर पालिका अध्यक्ष ने सीएमओ का स्थानांतरण कराने एड़ी-चोटी एक कर दी।

विधायक ताम्रध्वज साहू ने भी इसके लिए पहल की थी। बात नहीं बनते देख पालिका अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे से भी गुहार लगाई थी। लेकिन शासन एवं प्रशासन अभी तक टस से मस नहीं हुआ। इस बीच नगर पालिका में अनियमितताएं परत दर परत खुलती नजर आ रही है और पालिका अध्यक्ष के लिए मुसीबतें बढ़ती जा रही है।