एक आजाद देश की नदी, खदान जमीन, जंगल, जल, पहाड़, बीमा क्षेत्र बैंक और सार्वजनिक निगम तक को देशी-विदेशी कम्पनियों के हाथों बेचा जा रहा हैं। तब हम कैसे आजाद हैं ? एक समय इसे यह कहकर निजी हाथों से छिना गया कि यह 'राष्ट्र' की सम्पति है । इसी राष्ट्र की सुरक्षा के नाम पर हमने परमाणु बम तक बना डाला हमारी सैन्य शक्ति का आकार भी काफी बड़ा है। हमारा देश सैनिक व्यय के मामले में दुनिया में नवें स्थान पर है। जबकि मानव विकास सूचकांक में 134 वें स्थान पर है। जब हम सारे संसाधनों को बेच डालेगें तो हमारी आजादी, सम्प्रभुंता का मतलब ही क्या हैं ? फिर हम किसकी रक्षा करेगें। जो लोग सोचतें है कि गुलामी की घोषणा टी.वी. अखबारों से होगी अब ऐसा न ही होगा यह गुलामी अपने हुक्मरानों द्वारा लादी जायेगी।
इसी गुलामी के खिलाफ अपनी आजादी को बचाये रखने और अपने प्राकृतिक संसाधनों पर अपना अधिकार रखने के लिये देश भर में किसान, खेत मजदूर, आदिवासी जगह-जगह लड़ रहे हैं। 9 अगस्त 2010 को मऊ कलेक्ट्रट में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय लोगों को हक दो धरने को सम्बोधित करते हुए सच्ची मुच्ची के सम्पादक अरविंद मूर्ति ने कही उन्होंने कहा कि प्रकृति, पर्यावरण और जन संघर्षो को रोकने बचाने का एक मात्र तरीका है। स्थानीय संसाधनों स्थानीय लोगों का हक हो। परन्तु सरकार यह मानने को तैयार ही नही हैं। और वह इन सारे संसाधनों को देशी-विदेशी पूंजीपतियों को बेच रही है। इस पूरी लूट को देश की संसद के द्वारा वैधता दी जा रही है। जो खुद इनके हाथों बिक्री हुई हैं।
धरने को पी.यू.एच.आर. के जोनल सचिव वसन्त राजभर ने सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश का प्रधानमंत्री जनता के द्वारा नहीं चुना जाता है। यह लोकतंत्र के लिये देश के लिये शर्म की बात है मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री पद की तनख्वाह देश से नहीं लेते बल्कि अमेरिका से पेंशन लेते है। धरने को विजय सिंह हैवी ने सम्बोधित करते हुए कहाकि आपरेशन ग्रीन हंट के नाम पर निर्दोष गरीब आदिवासियों का सरकार कत्ल कर रही है जबकि वे अपने संसाधनों पर अपने हक की मांग कर रहे है। यह पूरी व्यवस्था अमीरों दंबगों के पक्ष में खड़ी है इसका ताजा उदाहरण शहर के नर्सिंग होम के मैले के टैंक में मरे तीन गरीब सीवर सफाई कर्मियों की मौत का हैं। जब यह काम कानून अपराध है। तो इसे करवाने वालो पर आज तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई। धरने को हाजी अनवारूल हक, का रामनवल आदि ने भी सम्बोधित किया धरने में विनय कुमार, सुखराम राजभर, हाजरा खातून, अवधेश कुमार साहनी, राजकुमार, इनौस के का0 अर्जुन सहित कई प्रमुख साथी शमिल रहे धरने का आयोजन जन आन्दोलन का राष्ट्रीय समन्यव पी0यू0एच0 आर0 मूवमेंट फार राइट ने किया।
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