सलीम को परेशां करने की वजह से एसपी की तनख्वाह से छः हजार रुपए काटे गए।
सच जानना चाहा तो हाल यह हो गया की घर छुटा, बच्चों की बधाई छूटी, झूठे मुकदमों मैं जेल कटी और जब इससे भी पुलिस का मन नहीं भरा तो इंतनी धारों में मुकदमे लादे की परिवार समेत आरटीआई के एक सिपाहइ को खुद को तड़ीपार करना पड़ा गया यानी पुरे एक साल से ज्यादा वक़्त तक घरबार छोड़कर फरार रहना पड़ा। मुरादाबाद के भोजपुर इलाके के रहने वाले सलीम बेग ने सूचना के अधिकार कानून का सहारा लेकर हारी जंग जीती। मनारेगा योजनाओं में भष्टाचार का मामला हो या फिर स्थानीय गैस एजेंसी में फर्जी कनेक्शनों की बात हो। सलीम ने सच को उजागर करने की अपनी जंग तमाम मुश्किलों के बाद भी जारी राखी। पुलिस में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का खामियाजा यह हुआ की सलीम को १८ दिन जेल की सीखचों के पीछे गुजारने पड़े। सलीम ने पुलिस भर्ती में आय आवेदनों और भर्ती के मापदंडों पर सवाल पूछने की हिमाकत की तो पुलिस ने पहले तो उनसे सूचनाओं के लिए लाखों रुपे की मांग कर डाली। सूचना देने में टालमटोल हुई तो सलीम राज्य सूचना आयोग चले गए और नतीजा यह हुआ की तत्कालीन एसपि देहात पर जुलाई २००७ में २५ हजार रुपए का जुरमाना लग गया। तिलामिल्लाई पुलिस ने सलीम पर मुकदमों की बोछार कर दी। मामला एक बार फिर अदालत पहुंचा और सलीम को परेशान करने की वजह से एसपी की तनख्वाह से छः हजार रुपए काटे गए। इसके बाद तो पुलिस ने सलीम को परेशान करने के लिए हर हथकंडा आजमाया। नतीजा यह हुआ कि पुलिसिया कहर से बचने के लिए सलीम को डेढ़ साल भोजपुर से बाहर रहना पड़ा। गैगस्टर एक्ट में दर्ज गैंग और उनके सदस्यों कि जानकारी के साथ ही पुलिस हिरासत में मरने वाले लोगों कि भी तादाद सलीम ने पुलिस विभाग से पूछी। इतना ही नहीं यूपी सरकार की ओर से मायावती के जन्मदिन पर छोड़े गे कड़ीयों के बारे में भी जानकारी मांगी। पुलिस और प्रशासन की लाख ज्यादतियों को झेलने के बाद भी सलीम सच्चाई के रस्ते पर निडर होकर चाले जा रहे है।
सच जानना चाहा तो हाल यह हो गया की घर छुटा, बच्चों की बधाई छूटी, झूठे मुकदमों मैं जेल कटी और जब इससे भी पुलिस का मन नहीं भरा तो इंतनी धारों में मुकदमे लादे की परिवार समेत आरटीआई के एक सिपाहइ को खुद को तड़ीपार करना पड़ा गया यानी पुरे एक साल से ज्यादा वक़्त तक घरबार छोड़कर फरार रहना पड़ा। मुरादाबाद के भोजपुर इलाके के रहने वाले सलीम बेग ने सूचना के अधिकार कानून का सहारा लेकर हारी जंग जीती। मनारेगा योजनाओं में भष्टाचार का मामला हो या फिर स्थानीय गैस एजेंसी में फर्जी कनेक्शनों की बात हो। सलीम ने सच को उजागर करने की अपनी जंग तमाम मुश्किलों के बाद भी जारी राखी। पुलिस में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का खामियाजा यह हुआ की सलीम को १८ दिन जेल की सीखचों के पीछे गुजारने पड़े। सलीम ने पुलिस भर्ती में आय आवेदनों और भर्ती के मापदंडों पर सवाल पूछने की हिमाकत की तो पुलिस ने पहले तो उनसे सूचनाओं के लिए लाखों रुपे की मांग कर डाली। सूचना देने में टालमटोल हुई तो सलीम राज्य सूचना आयोग चले गए और नतीजा यह हुआ की तत्कालीन एसपि देहात पर जुलाई २००७ में २५ हजार रुपए का जुरमाना लग गया। तिलामिल्लाई पुलिस ने सलीम पर मुकदमों की बोछार कर दी। मामला एक बार फिर अदालत पहुंचा और सलीम को परेशान करने की वजह से एसपी की तनख्वाह से छः हजार रुपए काटे गए। इसके बाद तो पुलिस ने सलीम को परेशान करने के लिए हर हथकंडा आजमाया। नतीजा यह हुआ कि पुलिसिया कहर से बचने के लिए सलीम को डेढ़ साल भोजपुर से बाहर रहना पड़ा। गैगस्टर एक्ट में दर्ज गैंग और उनके सदस्यों कि जानकारी के साथ ही पुलिस हिरासत में मरने वाले लोगों कि भी तादाद सलीम ने पुलिस विभाग से पूछी। इतना ही नहीं यूपी सरकार की ओर से मायावती के जन्मदिन पर छोड़े गे कड़ीयों के बारे में भी जानकारी मांगी। पुलिस और प्रशासन की लाख ज्यादतियों को झेलने के बाद भी सलीम सच्चाई के रस्ते पर निडर होकर चाले जा रहे है।
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