Wednesday, October 13, 2010

एक इमानदार व्यक्ति

कानून के जानकारों को मेरा नमस्कार,
मुझे भारत के संविधान पर पूर्ण विश्वास है। मैं न्याय पालिका पर पूर्ण विश्वास करता हूँ। शिक्षा व् जानकारी के आभाव में अगर कोई एसा वेसा लिखा होतो माफ़ कर देना।

एक जमीन के हक़ को लेकर नगर पालिका, कलेक्टर, कोर्ट, हाई कोर्ट में कई केस चल रहे है। जबकि जमीन एक है, मूल विवाद के पिता की जमीन है और दो बेटो में बाटनी है। वर्त्तमान में उस एक जमीन को लेकर हाई कोर्ट में लगभग १० केस चल रहा हेई और हो सकता है। यह केस सुपरिम कोर्ट में भी जा सकता है। और उसकी एक जमीन को लेकर भविष्य में भी कई केस पैदा होंगे।

एक पिता की जमीन उसे दो भाई में आपस में बांटनी है।

वर्तमान में इस विवाद को लेकर १५-२० केस अलग अलग अदालतों में चल रहा है और इसी विवाद को लेकर भविष्य में केसों की संख्या बड़ती जायेगी।

आप जानते है एसा क्यों हुआ?
इतनी छोटी बात si को लेकर इतने सारे केस क्या हुआ?

यह सब एक इमानदार व्यक्ति की ईमानदारी से हुआ है। अगर जमीन मालिक आपनी ईमानदारी छोड़ कर नगर पालिका के कर्मचारी को रिश्वत में दस हजार रुपए दे देता जो उसने मांगे थे। तो आज अदालते में इतने सारे केस विचाराधीन नहीं होते। और उस ईमानदारी का परिवार भी खुश व उच्च शिक्षा प्राप्त करता।
उस की ईमानदारी की वजह से आज उसका परिवार अदालतों के चाकर कट रहा है।

अगर उस जमीन के कारण जितने भी केस पैदा हुआ है। उन्ह सभी केसों को मिला कर स्टार्ट से जाँच करवा कर नय सिरे से विवाद पर कार्यवाही करने के हमारे देश के कानून में क्या है?
एसा क्या करे की जिससे सभी केस मिल जाये और स्टार्ट से जाँच हो जाये।

अगर एसा हो जाता हैतो विचाराधीन करोड़ केस की संख्या कम हो कर ५० लाख हो जाएगी
और देश का पैसा भी बच जायेगा


2 comments:

  1. badiya abhivyakti aur uttam salah ke liye dhanyavaad.swagat apka.

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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